मैं उसके लिए सिर्फ़ टाइम-पास था
मैं उसके लिए सिर्फ़ टाइम-पास था
बेपनाह मोहब्बत थी उससे,
हर गली में थे,
सिर्फ़ अपने ही किस्से...
वो जानती भी नहीं थी पगली,
मुझे उस पे कितना विश्वास था...
भुला नहीं हूँ,
सब कुछ याद हैं मुझे...
हर पल सोचता था कि,
मैं उसके लिए ख़ास था...
दिल तो तब टूटा जब पता चला कि,
मैं उसके लिए सिर्फ टाइम-पास था..!
कितनी उम्मीदें, आशाएं सजाया था उसके साथ,
जैसा कि हर कोई अपने महबूब से सजाता हैं...
कितनी रातें बिताया था मैं उसके साथ,
जैसा कि हर कोई महबूब बिताता हैं...
हर सपने टूटकर पल भर में चकनाचूर हो गये,
एक पल भी ना सोचें वो और इतने दूर हो गये...
उन्हें बेवफ़ा का नाम तो आज भी नहीं दें पाते हैं,
क्योंकि उन पे इतना ज्यादा नाज था,
धड़कन थी वो मेरी,
कभी मैं उसकी स्वास था...
दिल तो तब टूटा जब पता चला कि,
मैं उसके लिए सिर्फ टाइम-पास था..!

