मैं उसे कुछ बताना भी नहीं चाहता
मैं उसे कुछ बताना भी नहीं चाहता


दर्द दिल का उसे दिखाना नहीं चाहता
मैं उसे कुछ बताना भी नहीं चाहता
बेवफ़ा है वो जबसे पता चला
मैं किसी और से दिल लगाना भी नहीं चाहता
टूटे हुए दिल के टुकड़ो को मैं सी लेता,
मगर फिर से आशियाना बनाना नहीं चाहता
दर्द दिल का उसे दिखाना नहीं चाहता
मैं उसे कुछ बताना भी नहीं चाहता!
बहुत सह लिए ग़म जुदाई का
फिर से ये रोग लगाना नहीं चाहता
करा ली मरम्मत मैंने इश्क़ के बरसात
में चुते घर कि,
अब और लागत लगाना नहीं चाहता
बहुत राते काटी हैं
हमने अंधेरों में
अब दीपक जलाना नहीं चाहता
दर्द दिल का उसे दिखाना नहीं चाहता
मैं उसे कुछ बताना भी नहीं चाहता!
छोड़ दिया मैंने सफर करना
ट्रैन, बस, ऑटो-रिक्सा चाहत कि गाड़ियों से,
फिर से जाना भी नहीं चाहता
मैं अकेले तनहा ही ख़ुश हूँ,
इस ख़ुशी को बढ़ाना भी नहीं चाहता
बेवजह घड़ी-घड़ी मुस्कुराना भी
नहीं चाहता
दर्द दिल का उसे दिखाना नहीं चाहता
मैं उसे कुछ बताना भी नहीं चाहता!