मैं सिर्फ तुम्हारा हूं
मैं सिर्फ तुम्हारा हूं
मैं तुम्हारा हूं मैं सिर्फ तुम्हारा हूं कह कह कर कितने बंदों ने कितनी मासूम लड़कियों को है लूटा।
और कितनी लड़कियों ने कितने मासूम लड़कों को है फंसाया।
कितने बच्चों ने कितनी मां बापूओं को अपने मतलब के लिए भावनात्मक चक्रव्यूह में फंसाया ।
कभी एक पति अपनी पत्नी को कहता रहा मैं सिर्फ तुम्हारा हूं और बाहर अनैतिक कार्य करता रहा।
उसी तरह एक पत्नी सिर्फ तुम्हारी हूं कहते कहते नाटक करते करते किसी और ही चक्रव्यूह में फंसती रही।
झूठ के इस जाल में इस प्रपंच में बहुत लोग फंस गए हैं।
जब असलियत सामने आती है जब मुंह की खाते हैं।
तब आती है असलियत सामने तो होश उनके उड़ जाते हैं।
इसीलिए आपसी रिश्तों में विश्वास ,विश्वास और नैतिकता हो तो मुंह से बोलने की क्या जरूरत है।
कि हम तुम्हारे हैं वह तो सामने वाला तुम्हारे हाव भाव से ही समझ जाएगा कि तुम उसके हो और वह तुम्हारा है।
खामोश मोहब्बत और विश्वास भी कोई चीज होती है।
चिल्ला चिल्ला कर कहने से कुछ भी बात सच नहीं होती है।
इसीलिए कहती है विमला किसी के कहने पर नहीं उसके आचरण पर विश्वास रखो।
उसको भी नापतोल कर देखो फिर विश्वास करो।
तो कभी भी धोखा ना खाओगे।
नहीं तो सावधानी हटी और दुर्घटना घटी के शिकार बन जाओगे।