इतिहास के पन्नों में दबी शौर्य गाथा
इतिहास के पन्नों में दबी शौर्य गाथा
घोड़े पर तो हम कभी बैठे ही नहीं हां घोड़ा गाड़ी में हम जरूर बैठे।
और बहुत है हमने सफर किया।।
घोड़ा गाड़ी में बैठने का पूरा आनंद लिया।
कभी किसी को घोड़ा बनाकर हम खेले ही नहीं।
मगर हमने कहानियां बहुत सुनी है हमारे पिता जी से जो बहुत सच्ची थी।
क्योंकि वह उनके पुरखों की याद थी।
एक कहानी कुछ इस तरह थी ।
घोड़े पर बैठने वाले थे बहुत बड़े योद्धा।
थे वे सेनापति अपनी सेना के
एक बार दुश्मन देश से युद्ध के समय की बात है
वे घोड़े पर बैठ चले जा रहे थे, दुश्मन का पीछा करते-करते
बहुत दूर निकल गए थे।
बहुत दुश्मनों को रास्ते से हटाते हुए चले जा रहे थे।
दुश्मनों के वे छक्के छुड़ा रहे थे।
खुले आकाश के नीचे, मुक्त पवन में भारी कदम उनके थे बड़े वीर, घोड़े की टापों से धरती गूंज उठी थी,
जैसे नभ से बिजली कड़ी, धरा पर गिरी थी।
खेतों के पास से गुजरे सरसों की खुशबू आई,
वह दिल को छू गई, मानो जादू छा गई।
पहाड़ों की ओट में, नदी की कलकल बही,
घोड़े की टापों में मिली, वह संगीतमय रही।
दुश्मन के पीछा करते-करते हुए बहुत दूर एक मैदान में पहुंच गए।
वहां किसी अपने ने ही उनकी गर्दन को उड़ा दिया।
गर्दन उड़ाने के बाद भी उनका धड़ बिना गर्दन केआखिर तक वह लड़ते रहे।
2,4 दुश्मनों को मार गिराया, तभी किसी ने उस घोड़े पर भी वार कर दिया दोनों वहीं गिर पड़े।
उस अनजान मैदान में उस जगह पर आज भी है उनकी समाधि।
हमारे बुजुर्ग जाते थे हमेशा वहां दर्शन करने।
मेरे पापा भी जाते थे दर्शन करने और फूल चढ़कर आते थे।
कभी-कभी हम बच्चों को बिठाकर रणबांकुरे की कहानी वह सुनाते थे।
गर्व और जोश से उनका सीना भर जाताथा।
आवाज में भी एक बहुत जोरदार जोश हमेशा नजर आता था।
जो हमको बहुत हिम्मत दे जाता था।
वो दौड़ते रहे अथक, न थकान उनके चेहरे पर,
मन में उमंग भरी, दुश्मन पर फतेह जो पानी थी।
यह कहानी जो पुरखों की मैंने सुनी मेरी यादों में, सदा अमर रहेगी,
लगता है अभी घोड़े पर बैठे हैं वह क्षण, हमेशा मेरे जहां में जिंदा रहेगा।
कभी मौका नहीं मिला मुझे उस जगह जाने का।
मगर मन में इच्छा बहुत है, इस बार जो पोकरण की यात्रा करूंगी तो जरूर जाकर आऊंगी।
देखूंगी कि कहां मैदान के बीच में है वहां पुरखों की समाधि पर श्रद्धा के फूल चढ़ाऊंगी और मन में यह गुनगुनाउंगी
आजादी का अहसास, इस सवारी में पाया,
जीवन के पथ पर चलना, इसी से सिखाया।
हिम्मतवाला हौसला आपकी कहानियों से है पाया
है नमन आपको करती श्रद्धा सुमन मैं अर्पण
जो हमने आप जैसे पुरखों को है पाया।