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Pawanesh Thakurathi

Drama

3  

Pawanesh Thakurathi

Drama

मैं नदी हूँ

मैं नदी हूँ

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नहीं किसी के आदेशों में

ना किसी सीमा में बंधी हूँ

मैं नदी हूँ।


बहती हूँ मैं सदा निरंतर

अपना लेता मुझे समंदर

गैरों के लिए खुद को मिटाकर

अपना स्वर्ण सर्वस्व लुटाकर।


देती हूँ धरती को जीवन

हरा-भरा करती हूँ आंगन

सिर्फ न केवल एक नदी हूँ

मैं तो पूरी एक सदी हूँ

मैं नदी हूँ।


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