मैं मृगतृष्णा
मैं मृगतृष्णा
मैं मृगतृष्णा
तुम्हारी आस
तुम्हारी मन-प्यास
मैं मृगतृष्णा।
उत्तेजित हो
ढूँढते यहाँ-वहाँ
मैं मृगतृष्णा।
न होती शान्त
निरंतर बढ़ती
मैं मृगतृष्णा।
पूर्ण है आस
फिर भी नहीं बुझी
मैं मृगतृष्णा।
सारी जिंदगी
रहा बेचैन मन
मैं मृगतृष्णा।