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Chetandas Vaishnav

Tragedy

4  

Chetandas Vaishnav

Tragedy

मैं मजदूर हूँ ( 5 )

मैं मजदूर हूँ ( 5 )

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मैं मजदूर हूँ पर मजबूर नहीं हूं,

जलता हूँ धूप में तभी तो,

मेरे घर में होते हैं उजाले,

सर्दी गर्मी या हो बरसात,


मेहनत में पीछे कभी नहीं हटता,

मेरे हाथ और पांव में हैं छाले,

तभी तो जुटा पाता हूँ

घर के लिए निवाले,


शानो शौकत की चाहत नहीं मेरी,

 बस घर परिवार पल जाए मेरा,

 सपना बस इतना सा ही है मेरा,

बच्चे पढ़ लिखकर कुछ बन जाए मेरे,

इसीलिए 


मेहनत अपनी बेचता हूँ,

पर किसी ओर चाहत में 

स्वाभिमान नहीं बेचता हूँ,

मैं मजदूर हूँ पर मजबूर नहीं हूँ !


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