STORYMIRROR

PANKAJ GUPTA

Abstract Inspirational Others

2  

PANKAJ GUPTA

Abstract Inspirational Others

मैं मानव हूँ

मैं मानव हूँ

1 min
100

मैंने जीवन को कटते देखा है

जीवन जीने को।

रास्ते के लिए

रास्ता बनाने को।

मैंने अमन का पतन देखा है

अमन पाने को।

मैं घर से निकला हूँ

घर की तलाश में

क्योंकि मैं मानव हूँ

दानव थोड़ी हूँ।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract