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Akanksha Verma

Action Classics Children

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Akanksha Verma

Action Classics Children

मैं कोई कवि नहीं

मैं कोई कवि नहीं

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कैसे लिखूं कविता, 

मैं कोई कवि नहीं।

कैसे मिलाऊं तुुक,

यही सोचकर जाती हूं रूक।


कैसे लिखूं कविता, 

मैं कोई कवि नहीं।

कवि तो भर देेता है,

गागर में सागर।


और कभी करता है ,

दोहों, चौपााइयों से घाव गम्भीर।

कैसे लिखूं कविता, 

मैं कोई कवि नहीं।


टूटी फूटी मेेरी भाषा,

लिखने की मन में अभिलाषा।

मुझमें नही है इतनी शक्ति,

जो लिख पाऊँ कोई अच्छी पंक्ति।


कैसे लिखूं कविता, 

मैं कोई कवि नहीं।


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