मैं भी तो तुम जैसा हूँ
मैं भी तो तुम जैसा हूँ
मैं भी तो तुम जैसा हूँ
इस समाज़ का एक हिस्सा हूँ
अपनी माँ का लाल हूँ
फिर क्यों मैं बेहाल हूँ।
खुदा ने ये अंतर क्यों दिखाया
अमीर और गरीब का भेद क्यों बताया?
एक रोटी को तरस रहा है बापू मेरा
नंगे पाँव ही चल पड़ा है बापू मेरा
मैं कहता था, आना जब तो खिलौने लेकर आना
अब खुद एक पुराने खिलौने की तरह इधर उधर भटक रहा है बापू मेरा!
मुझे पता है एक संकट आया है
हर दिन एक बोझ करोड़ों दिलों ने उठाया है
आस है मुझे मेरे बापू के आने की
जिसके सिर पर दुखों का बादल लहराया है!
मेरे घर टीवी तो नहीं है, पर एक रेडियो है
खबर जिससे सारी मिल जाती है
"कुछ लोगों की भूख के कारण हुई मौत"
ये खबर दिल को दहलाती है
आखिर बनाने वाले ने हमें ऐसा क्यों बनाया
अमीर और गरीब का भेद क्यों बताया?
हर सुबह बापू के आने की उम्मीद जगती है
दिन बीतता है, उम्मीद टूटती है
पता नहीं वो दिन कब आएगा
जब दरवाज़े पर कुछ हलचल होगी
और मेरी आँखों में चमक होगी!
माँ कहती है -" एक फरिश्ता आया है"
उसने बहुत से लोगों को घर तक पहुँचाया है
वो अपनी गुहार भी जरूर सुनेगा
वो हमको भी अपनों से जरूर मिलवाएगा!
मैंने माँ की बात मान ली है
और चेहरे पर मुस्कान सज़ा ली है
क्योंकि मैं भी तो तुम जैसा हूँ
इस समाज़ का एक हिस्सा हूँ
किसी ना किसी रूप में वो मदद जरूर करता है
एक खुदा ही तो है,
जो चाहे कुछ भी हो जाए
अमीर और गरीब का भेद न रखता है।