Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

DR ARUN KUMAR SHASTRI

Fantasy

4.5  

DR ARUN KUMAR SHASTRI

Fantasy

मैं भी कितना पागल निकला

मैं भी कितना पागल निकला

1 min
367


अपनी छाया में जिंदगी ढूंढने निकला 

देखना लोगों मैं भी कितना पागल निकला 


आशना था आशना हूँ आशना ही रहूँगा 

लोग कहते हैं ये भी इक दीवाना निकला


रोकता भी अगर कोई मुझे तो कैसे रोकता 

जब भी निकला मैं तो घर पर ही निकला 


डूबने को लोग निकलते हैं समंदर तलाशने 

जो न देखा मंज़र वो ही बस सागर निकला 


आशिकी को अब किसी कांधे की जरूरत क्या है 

गली गली में हर कोई लैला तो कोई मजनूँ निकला 


भीड़ की भीड़ है उफनते दरिया सी यहाँ ओ वहां 

कोई देखे किसको जो बेचारा बेसहारा निकला 


शाम ढलने लगी है चलो घर को चलते हैं 

पंछियों का टोला भी अब शजर ढूंढ़ने निकला 


अपनी छाया में जिंदगी ढूंढने निकला 

देखना लोगों मैं भी कितना पागल निकला 


आशना था आशना हूँ आशना ही रहूँगा 

लोग कहते हैं ये भी इक दीवाना निकला


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy