मैं अबला मैं आधी आबादी
मैं अबला मैं आधी आबादी
मैं अबला मैं आधी आबादी
जीवन देती
लाती खुशहाली
फिर भी नाम मेरे इतने अच्छे नहीं
कहीं भोग विलास
कहीं निज रास
के लिए उपेक्षित
क्यों ऐसा किस लिए ऐसा
माना कुछ अबलायें
अबला का रूप धर
करती चाल विशाल
माना कुछ अबलायें
दूसरी की हँसी
भी ना सह पाए
पर क्या ये वांछित है
इन कुछ के लिए
सारी अबला हो
ऐसी ही और
सबके व्यंग्य नज़रें
और उपहास का स्वाद चखें
क्या ये सही है?
सोचिए ज़रा कभी बाकी
आबादी का नाम
खराब हुआ है
अप शब्द भी उनकी घर की
अबलाओं को कहे गए हैं
मैं नहीं कहती ना ये मानती हूँ कि
सारे ही बुरे होते
पर कुछ तो जरूर होते ही है
पर जब बात जवाबदेही की आती है
भुगतती वो अबला ही है !
क्या इसीलिए उसे देवी
कहा गया
मंदिर में एक रूप को पूजा
और बाहर उसे ही दुत्कारा
ये कैसा समाज
और ये कैसी लड़ाई
जहाँ अबला ने अबला
होने की क़ीमत चुकायी !
ये आबादी है आबादी
आधी हो सवा हो
कुछ भी हो
सही स्वरूप और सही व्यक्तित्व
को सम्मान मिलना ही चाहिए
बिना ये देखे की वो है क्या
और कितनी दौलत कितने
समर्थक उसके है !
मैं अबला मैं आधी आबादी
जीवन देती
लाती खुशहाली..