मै क्या करुं?
मै क्या करुं?
मेरी नजरों में सनम आती है तूं,
मुजे ख्वाबों में रोज सताती है तूं,
मेरे मन का चैन भी चूराती है तूं,
मुझसे मिलन न करे तो मै क्या करुं?
मुजे देखकर मुंह मोड लेती है तूं,
सामने मिले रास्ता बदलती है तूं,
मेरी दर्दभरी पूकार सूनती नहीं तूं,
मुजको आवारा समजे तो मै क्या करुं?
मेरे इश्ककी रागिनी बनती नही तूं
मेरी इश्क की गज़ल सूनती नहीं तूं,
मेरे दिल संग ताल मिलाती नहीं तूं,
मुजको नफ़रतसे देखे तो मै कया करुं?
मेरे ईश्कका एकरार सूनती नहीं तूं,
मेरे इश्कको महेसूस करती नहीं तूं,
मेरे ईश्क पर ऐतबार करती नहीं तूं,
मुजको ईश्कमें तड़पाये तो मै क्या करुं?
मुजे हर जगह रात दिन दिखती है तूं,
मेरे तन और मनमें रोज लहराती है तूं,
मेरे दिल में दौड़कर समाजाओ "मुरली",
मेरे इश्क को तू न समजे तो मै क्या करुं?

