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shiv pandey

Classics Fantasy Inspirational

4  

shiv pandey

Classics Fantasy Inspirational

मै खुद बदल गया

मै खुद बदल गया

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मुझको बदला नहीं किसी ने 

मै खुद बदल गया। 


ख़ुद ही फिसल गया था 

मै अब खुद ही सम्हल गया। 


कोई मुझे समझे न समझे 

अब मैं खुदको समझ गया।

 

न ही रहा सहारा कोई अब 

खुद का मैं हमदर्द बन गया।


 किया था जिन पर भरोसा 

आँख बंद करके न रहा मुझको 

अब उनपर नाज़। 


कैसे कह दूँ मिला नहीं था मुझको 

प्यार हुआ था एक साथ दो इजहार।  


मैं तो समझ गया था पर 

कोई मुझे ऐसा समझा गया। 


मुझको बदला नहीं किसी ने 

मै खुद बदल गया। 


ख़ुद ही फिसल गया था 

मै अब खुद ही सम्हल गया।


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