वीरों की कुर्बानी
वीरों की कुर्बानी
देख रहे हो न कैसी विडम्बना है
होते गुनाह अब आँखों के सामने ।
किस किस का करोगे विरोध तुम
मोदी भी हार रहा है उनके सामने ।
कहीं रेप तो कहीं जिंदा जला रहे
कैसी ये आफ़त आँखों के सामने ।
न करता कोई मदद किसी की भी
देख रहे होते गुनाह आँखों के सामने ।
सोने का चिड़िया था भारत देश
देख रहे हो अब इस देश का भेष ।
जुर्म, रेप, अहिंसा रुक नही रही है
एक खत्म नहीं, होता शुरू दूसरा केस ।
हिंदू राष्ट्र जाग जाओ समय आ गया
शास्त्रो के साथ शास्त्र का भी ज्ञान लो ।
वीर सपूतों की कुर्बानी करो याद तुम
भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की ठान लो ।