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sai mahapatra

Tragedy

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sai mahapatra

Tragedy

माया जाल

माया जाल

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अब ज़िन्दगी एक मायाजाल

की जैसी लगती है

हर बिता हुआ पल एक गुजरे

हुए साल की जैसी लगती है

जबसे तुम मुझे अलविदा

कह के गए हो 

ज़िन्दगी वही पर कहीं रुक

सी गयी है


बस जी रहा हूं एक ज़िंदा

लाश की तरहा

मेरे मुंह से हँसी कहीं खो

सी गई है

आज ज़िन्दगी अजीब खेल

खेल रही है

एक माँ के सामने उसके ही

दोनों बेटे उसकी दौलत का

बंटवारा करते है


जब माँ को रखने की बारी

आती है

सब एक दूसरे के मुंह को

ताकते रहते है

जिस माँ के लिये उसकी दोनों

बेटे उसके लिए थे उसकी

कमज़ोरी

आज वहीं माँ उन बेटों के

लिए बन गईं है उनकी मजबूरी

ये ज़िन्दगी अजीब खेल खेल रही है

कभी सुख तो कभी आँसुओं

की बरसात कर रही है।



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