मासूमों पर कहर
मासूमों पर कहर
यह आतंकवादी
मनुष्य हैं या दैत्य ?
चलो हम मान भी ले
संघर्ष तुम्हारा शासकों से है,
तुम अपनी दुनिया
बसाना चाहते हो
प्रतिशोध की आग
तुम्हारे तन बदन में फैली है,
बंदूकों की नोक पर
सबको नचाना चाहते हो !
पर हमारे मासूम बच्चों ने
तुम्हारा क्या बिगाड़ा ?
बच्चे तो मासूम हैं ....
है नहीं आभास उनको
उनका फिर क्या दोष है ?
उनके सपने नष्ट करके
तुम नहीं कुछ कर सकोगे,
पाप करके इस जहाँ में
तुम नहीं फूलो फलोंगे ।।
