मानव और विज्ञान
मानव और विज्ञान
अवतरण हुआ धरती पर,
मानव युगों युगों पहले,
सीधा सरल सा वो मानव,
कहलाता था आदि मानव पहले।
न धर्म जाति का भेदभाव था,
न ज्ञान विज्ञान का विवेक था,
जंगलो मे गुजर बसर करता था,
पेड़ पौधों का भक्षण करता था।
प्रकृति भी खूब धनी थी,
भरपूर साथ निभाती थी,
कंदमूल फल ,फूल सब,
भरपूर मानव को देती थी।
धीरे धीरे मानव मस्तिष्क में,
बुद्धि कौशल का संचार हुआ,
मानवीय शक्ति, सद्ज्ञान से,
उसने एक नया विज्ञान रचा।
आदि मानव कही लुप्त हो गए,
मानव ने बड़े बड़े आविष्कार किए,
रेडियो,मोटर,टी वी,जहाज बनाकर,
चाँद और मंगल पर भी पहुँच गए।
स्वस्थ सृजन के साथ साथ,
ईर्ष्या द्वेष, हिंसा का भाव जगा,
जाति, धर्म, सम्प्रदाय मे बंटा मानव,
मानवता से ही कंगाल हुआ।
मानव का संपूर्ण उत्थान तब होगा,
जब मानव मूल्यों का अभिनंदन होगा,
जाति धर्म की झूठी दीवारें टूटेगी
जग में जब धर्म और विज्ञान का मिलन होगा।