माँ
माँ
मुश्किलें ज़रूर हैं
मंज़िल हासिल करने में
चलते चलते, पाँव पर
चोट भी लग जाती है
किसी ने पूछा,
ज़िन्दगी में क्या हासिल करना चाहते हो ?
मैने कहा- जहाँ मेरी माँ की दुआ
लेकर जाना चाहती है
ख्वाहिशें बहुत हैं
उस मुकाम को हासिल करने की
कोशिश करने से
मुक़द्दर की तकदीरें बदल जाती हैं
ज़िन्दगी का सफर बहुत लंबा है मेरे दोस्त
सपनों की उड़ान से वो मंज़िल
हासिल भी हो जाती है
जब परिंदों को आसमान में
उड़ता देखती हूँ
तो माँ की एक बात
याद आ जाती है
कभी भी हार मत मानना मुश्किलों
क्योंकि हार के बाद
जीत ज़रूर आती है।