सावन और तुम
सावन और तुम
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आज फिर कुछ यादें ताजा करते हैं...
बारिश के साथ मिलकर चलो करते हैं....
कुछ हसीन पलो को याद...
कुछ बचपन की यादें होंगी...
कुछ हमारे प्यार की बातें होंगी...
और इस रिमझिम रिमझिम बारिश...
में उनसे मुलाकात भी हमारी होंगी...
ना छाते की जरूरत होगी...
ना रेनकोट की जरूरत होगी...
उनके हांथों में मेरा हाथ हो...
और एक गर्म प्याले की चाय हो...
बस इतनी ही हमारी जरूरत होगी....
कुछ वो कहेंगे, कुछ हम कहेंगे...
फिर हम दोनो की सुकून भरी बातें होंगी...
फिर हम भी कहेंगे हल - ए- दिल उनसे...
कितनी हसीन वो शाम होगी....
इस सवान फिर से एक नई शुरुआत होगी....