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ritesh deo

Tragedy

4  

ritesh deo

Tragedy

दोस्ती बदल रही है

दोस्ती बदल रही है

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धीरे-धीरे बदल रहा है दोस्ती का रंग, अब थकान लगने लगी है, बदल रहा है ढंग।

पहले जो थे साथ हर पल, हर मुश्किल में यार, अब बनाते हैं बहाने, बिछाते हैं किनारे दरकार।

पहले जो थे हंसी-मज़ाक, खिलखिलाते चेहरे, अब खामोशी है गहरी, चेहरे पर हैं दाग़ सारे।

पहले जो थे दिल खोलकर, बांटते थे राज़, अब छुपाते हैं ख़ुद को, बनाते हैं बनावटी आवाज़।

समय की कमी का रोना, ज़िम्मेदारियों का बोझ, इन बहानों के पीछे छुपा है, दोस्ती का खोया मोह।

पहले जो थे तन-मन से, एक दूसरे के साथ, अब दूरी है दरमियान, बदल रहा है साथ।

शायद बदलते समय के साथ बदल रही है दोस्ती, या शायद बदल गए हैं हम, खो गई है वो मस्ती।

फिर भी उम्मीद है मन में, कि फिर से खिलेंगे वो दिन, जब दोस्ती होगी अनमोल, और साथ होंगे हम यार, मिलकर हर गम को जीत लेंगे।


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