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Rajiv Jiya Kumar

Abstract Inspirational

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Rajiv Jiya Kumar

Abstract Inspirational

माँ

माँ

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होठों पर छलकती

हर हँसी में मेरे

धड़कनों की मचलती

हर खुशी में मेरी

तुम ही तुम बसी हो।।


हरेक इरादों में मेरे

हर एक याद 

हर लफ्जों में मेरे

तुम ही तुम बसी हो।।


तुमसे हैं सजे

हर रात दिन मेरे

तुम बिन कहाँ 

कोई साथ मेरे,

तुम संग हो तो 

हर गम बेदम

तुम हो तो


मन बेचैन तो चैन

तुम हो तो मैं, मैं हूँ

तुम हो तो ईश साथ मेरे,

हर उपासना में मेरे

हर साधना में मेरे

हर याचना में मेरे

हर आराधना में मेरे

माँ मेरे प्राण तुम बसी हो,

माँ रूह रूह रोम रोम में

तुम ही तुम बसी हो

तुम ही तुम बसी हो।।       


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