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Paramita Basak

Abstract

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Paramita Basak

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माँ

माँ

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ज़िन्दगी को ऊँगली पकरके 

तूने चलना सिखाया,

 तुझीसे मुझे ज़िन्दगी

 जीना आया।


अपने दर्द को छुपाके तूने 

हमपे हशि लुटाई,

चलने के हर मोर पे माँ 

मुझे तेरी याद आयी। 


दुनिया भरकी खुशिया भी

तो तेरी खातिर छोरु,

तुझसे नाता रखहु माँ 

दुनिया से नाता तोरु। 


तू है तो यह दुनिया

मुझको लगती बहत प्यारी,

तूने ही तो सिखाया मुझे

निभाना दोस्ती यारी।


माँ तेरे ही चरणों में मैंने 

हर सुख है पाया,

करि धुप मैं जैसे है तू

शीतल घनी छाया। 


आहत सुनके दरवाजे तक 

जो दौर के आती, 

छोर के अपने सन्तानो को 

कभी कही न जाती।


 माँ तू सदा ही ऐसे

 मुस्कुराते रहना, 

अच्छाई का मूरत है तू  

पहनके ममता का गहना।


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