बेवफा ऐ सनम
बेवफा ऐ सनम
जज़्बातों को तूने मेरे
भरे बाजार में रुसवा किया,
गम नहीं इस बात का
गम सिर्फ इस बात का है
के मुझे तेरी सूरत क्यों भायी।
प्यार तो दिलों का बंधन है
सूरत की नहीं,
फिर भी क्यों मुझे तेरी
फितरत समझ न आयी।
रुसवा तो मैं हुई चारो तरफ
तुझे न समझ आया,
बेवफाई करके सनम
तूने क्या पाया।
खुदा भी माफ़ न करे
ऐसी गुस्ताखी,
तूने वही कर डाला
बेवफा ऐ सनम
हमने तुझे भुला डाला।