माँ तुझे सलाम
माँ तुझे सलाम
माँ किसी की हो
वह तो बस माँ होती है
बच्चों के दिल की राह होती है।
समर्पण की प्रतिमूरत
स्नेह का अपार सागर
ज्ञान का भंडार माँ होती है।
चाहे हो वह अनपढ़
बच्चे का मन पढ़ लेती
बिन माँगे सब देती है।
उसका कर्ज न चुका पाया कोई
उसका वक्त न लौटा पाया कोई
वह सब निस्वार्थ भाव करती है ।
ग़लती चाहे कैसी भी हो
माफ़ वह कर देती है
चाहे घुट-घुट कर रोती है।
न होने देती अपने दर्द का एहसास
बच्चे खुश रहें करे प्रभु से यह आस
बच्चों की खुशी रखती खुद पर विश्वास।
ऐसी ही होती है सबकी माँ
डाँट लगाकर खुद रो देती
माफ़ी माँगो अंक भर लेती ।
गर देनी माँ को सलामी है
तो नेक इंसान बन जाओ
माँ का नाम रोशन कर जाओ।
जो माँ आज पहचान तुम्हारी
कल तुम उसकी पहचान बनो
दुनिया उसे सलाम करे ध्येय धरो।
माँ हो या धरती माँ
भारत माँ के सच्चे सपूत बन
सब कहें-माँ तुझे सलाम ।