साहस
साहस


मुश्किलें जरूर है, मगर ठहरा नहीं हूं मैं
मंज़िल से जरा कह दो, अभी पहुंचा नहीं हूं मैं
कदमों को बांध न पाएंगी, मुसीबत कि जंजीरें,
रास्तों से जरा कह दो, अभी भुला नहीं हूं मैं
धर्म का बांध टूटेगा, तो फ़ना कर के रख दूंगा,
दुश्मन से जरा कह दो, अभी गरजा नहीं हूं मैं
दिल में बचा के रखी है, बचपन कि बातें
मुहब्बत से जरा कह दो, अभी बदला नहीं हूं मैं
साथ चलता है, दुआओं का काफिला
किस्मत से जरा कह दो, अभी तन्हा नहीं हूं मैं।