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Dr Priyank Prakhar

Inspirational

4.5  

Dr Priyank Prakhar

Inspirational

सच्चा तर्पण

सच्चा तर्पण

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मेरी मां आज भी मुझे लोरियां गा सुलाती है,

बच्चों को मेरे बचपन के वो किस्से सुनाती है,

थकी हो कितना भी हर पल दौड़ती जाती है,

दुःख वो साड़ी के पल्लू के छोर में छुपाती है।


वहीं बांध रखी है उसने अपनी जमापूंजी सारी,

वह प्यार की बातें वह मेरे खुशियों की रेजगारी,

मेरे चोट लगने पर मां सारे टोटके आजमाती है,

आज भी कुछ बुदबुदाकर बुरी नजर भगाती है।


मां की जुबां हर दर्द पे जादू सा कर जाती है,

मेरी मां अपना दर्द मुझे कभी नहीं बताती है,

आज भी उससे पहले मुझे नींद आ जाती है,

मां खाती है बाद में पहले वो मुझे खिलाती है।


कभी डांटकर वो खुद ही रोने लग जाती है,

बच्चे हों कैसे भी मां तो मां ही रह जाती है,

अपने पहलू में छुपा बुरी नजर से बचाती है,

मां नहीं बदलती यह दुनिया बदल जाती है।


चैन नहीं मां को तो तुम्हें नींद कैसे आती है,

दर्द तो पूछो जिनको मां नहीं मिल पाती है,

कुछ लोगों को ये बात समझ में ना आती है,

मां खुश हो तो ही जीवन में खुशियां आती है।


समय रहते संभलो तुम ये सच्चा तर्पण करो,

अपने मनोभाव आज ही मां को अर्पण करो,

छाया रहे मां की सदा हृदय में वो दर्पण धरो,

त्याग कर विकार सारे मन में ये समर्पण करो।



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