चलो नया दौर लिखें
चलो नया दौर लिखें
क्यों न एक नए दौर का
आगाज़ मिलकर अब करें
शिकवे गिले सब छोड़ कर
आपस में सब गले मिले
मन भर कर जियें
संग संग मजे करें
जितना भी हो पास में
उसी के बस मज़े लें लें
गुज़रे जिधर से भी हम
बस मुस्कुराहटें फैला दें
खूब हल्ले गुल्ले हो
मिठास हवा में घोल दें
है चंद दिनों की यह ज़िन्दगी
घुट घुट कर इससे क्यों जियें
परेशानियों को पछाड़ कर
चलो थोड़ी नादानी भी करें
क्यों न खुदगर्ज़ी को अब
क़ुरबानी में बदल दें
ज़िम्मेदारियाँ निभ जाएँगी
मस्त होकर खुलकर जियें
तन मन धन से अब चलो
सही में मानव बनकर जियें
मुस्कानों के दिए जलाएं
मानवता को फिर से रोशन करें
उम्र के हर दौर का
खूब मज़ा लेना चाहिए
ज़मींदोज़ होंगे जिस दिन
समां उस दिन भी बंधना चाहिए ।
