ये कौन किसान हैं
ये कौन किसान हैं
जो जागता है अंधियारी रातों में ये वही किसान है।
सर्दी गर्मी बारिश सब सह जाता ये वही किसान है।
देशद्रोही कहने की भूल कभी ना करो वजीरों इनको,
सुदूर सीमा पर जो खड़ा है वो भी एक किसान है।
चीर कर सीना धरती का, जल निकालता किसान है।
चढ़कर शाखों पर वृक्षों की, फल उतारता किसान है।
समस्याओं का कोई अंत ही नही है इनके जीवन मे,
हिम्मत से अपनी हमेशा, हल निकालता किसान है।
ऐसे रोक रहे हो इनको तुम, रोड़ तक को खोद रहे।
और जाड़े वाली रातों मे वो, सड़को तक पर सो रहे।
निकालो कुछ ऐसा रास्ता ,सबका समाधान हो सके,
उपद्रवी भयभीत रहें और किसानो में भी मौज रहे।
जानते है हम भी की, कुछ उपद्रवी भी हैं इनके संग।
पकड़ो उनको डालो अंदर, सभी खड़े है तुम्हारे संग।
पुश्तें याद रखे इनकी, कुछ ऐसा इलाज करो इनका,
आंदोलन होते रहे यहां ,और ना कभी हो शांति भंग।
