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कवि धरम सिंह मालवीय

Inspirational

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कवि धरम सिंह मालवीय

Inspirational

रीत गुलामी की

रीत गुलामी की

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सैतालिस की चोट हमें हैं, देती सीख गुलामी की

आपस में लड़वाया हमको, देखी जीत गुलामी की

लगता शायद हम लोगों को, लागी प्रीत गुलामी की

स्वतंत्रता के बाद भी देखो, लगती रीत गुलामी की


आजादी पाने को हमने, जल सा रक्त बहाया था

आजादी की बलिवेदी पर, किसने शीश चढ़ाया था

तिनके तिनके ही चुन चुन कर, हमने नीड़ बनाया था

फाँसी के ही फंदे पर भी, जन गण मन को गाया था


आजादी का भी अब नारा, देता नहीं सुनाई है

खादी से आजादी पाई, कविता खूब सुनाई है

भूल गए तुम कैसे हमने, ये आजादी पाई हैं

भारत माँ का बलिदान तुझे, देता नहीं दिखाई है


जो इतिहास बताता है वो, मुझे बाच ही लिखना है

कोई कुछ भी कहता हो अब, मुझे साँच ही लिखना है

जिससे पत्थर भी टूट गया, वही काँच ही लिखना हैं

रहे अमर कलम धरम की बस मुझको कब तक दिखना है



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