मैं शिक्षक हूं
मैं शिक्षक हूं
अंधेरे घर में ज्ञान का दिया जलाता हूं
एक बच्चे को उसका लक्ष दिखता हूं
मैं शिक्षक हु एक अज्ञानी को ज्ञानी बनता हूं
माना की सिर्फ विद्यार्थी को पढ़ाता हूं
मगर चंद्रमा तक जाने की पहली सीढ़ी मैं बनाता हूं
जिज्ञासु मन को शांत कराता हूं
जीवन में सत्य का महत्व भी तो मैं ही समझाता हूं
कोरे कागज पर लिखकर उन्हें किताप बनाता हूं
मैं शिक्षक हूं एक स्कूल को ज्ञान का मंदीर बनाता हूं
सपना सब देखते हैं मैं उन्हें सच करने का मार्ग दिखता हूं
शिक्षक दिवस पर साथियो एक बात कहना चाहता हूं
जब भी जन्म लू इस धरती पर शिक्षक ही रहना चाहता हूं।
