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Sagar Mandal

Abstract Inspirational

5.0  

Sagar Mandal

Abstract Inspirational

नारी

नारी

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हे नारी, तूने इस संसार को क्या नहीं दिया,

सरस्वती बन ज्ञान दिया लक्ष्मी बन मान दिया 

जब बढ़ा इस संसार में अत्याचार

दुर्गा-काली बन इस संसार में नया प्राण दिया,


माता बन मुझे प्यार दिया बहन बन

भाई होने का एहसास दिया 

जब आई बात त्याग की तूने सीता बन त्याग भी दिया,

बहू बन तू आयी छोड़ मेरे घर को संभालने 

बेटी बन तू आयी फिर मेरे आंगन को खिलाने,


ना जाने क्यूँ नारी को देख अकेला

कुछ पुरुष बनते हैं दुर्याधन 

भूल जाते वो उस नारी को जिसने दिया उसे जन्म 

जब भी आयेगी प्रेम की बात

नाम आयेगा राधा-मीराबाई की 

आत्मा से प्यार उन्होंने सिखाया 


हर युग में नारी की महानता 

हिन्दू धर्म ग्रन्थ में छाया।


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