STORYMIRROR

Sagar Mandal

Abstract Others

2  

Sagar Mandal

Abstract Others

मैं उड़ना चाहती हूं

मैं उड़ना चाहती हूं

1 min
351


मैं क्या पहनूं

जो तेरी नजर को तू संभाल सके ?

मैं किस वक़्त घर से निकलूँ

की मेरी चाल तुझे न्योता ना लगे ?

मुझ नारी को देख अकेला

तू जो दुर्योधन बनता है

तेरी भी बहन बेटी होगी

क्या तू उनसे नजरे मिला पाता है


मैं जन्म ही क्यों लूँ सिर्फ इतना बता दे

अगर चलना तेरे मुताबिक हैं

आजाद भारत में कहाँ आजाद मैं

तू सिर्फ मुझे इस आजादी का नाम बता दे

मैं उड़ना चाहूँ तो मेरे पंख काटता है

लड़कियों का काम नहीं है बोलकर मुझे हटाता है

अगर तू पुरुष है तो बराबरी मुझे भी दे

मैं उड़ना चाहती हूं बढ़ना चाहती हूं कुछ करना चाहती हूं

मुझे हौसला तू भी दे। 


Rate this content
Log in