"मैं एक नारी हूं "
"मैं एक नारी हूं "
मां, बहू, भगिनी, भार्या,
जाने कितने किरदार निभाती हूं।
फर्ज सारे निभाकर,
रखती हूं सबका मन,
बस अपना मन ही हारी हूं।
मैं एक नारी हूं।
नित नूतन परिवेश मिले,
या मिले पराया देश,
समर्पण को नियति मानकर,
खुद को उसी में ढालकर,
अपना अस्तित्व ही बिसारी हूं।
मैं एक नारी हूं।
दया, माया, ममता, सुचिता,
जाने कितने भावों को लेकर,
जीवन की पगडंडी पर,
चलती हूं निर्भय होकर,
सजाती अपनी फुलवारी हूं।
मैं एक नारी हूं।
संतानों के सारे सपने,
मेरी ही आंखों में पलते,
उन सपनों को पूरा करने में,
अपना जीवन वारती हूं,
बस संघर्ष की पुजारी हूं।
मैं एक नारी हूं।
तप नहीं मुझमें सीता सा,
वीरता नहीं लक्ष्मीबाई सी,
विद्वता नहीं है गार्गी सी,
धैर्य, स्वाभिमान, व सबलता की,
एक दबी हुई चिंगारी हूं।
मैं एक नारी हूं।