मेरा देश
मेरा देश
सम्मान इज्जत और अधिकार मिले समान,
ऊंच नीच जाति पाति का न हो भेद,
भ्रष्टाचार बेईमानी की न हो भेडचाल,
ईमानदारी की रोटी मिले चाहे हो वो सूखी,
ऐसा मेरा देश हो जहां सब हो सुखी,
कहते है लोग बोलना आसान है,
पर वो सोने की चिड़िया वाला देश रहा नहीं,
या तो निगाह बैठाए भेड़िए बैठे हैं,
भ्रष्टाचार और बेईमानी का तो बोलबाला है,
कहां मिलता सबको समान सम्मान और अधिकार,
बस कहने को हमारा देश विकसित है,
सोचता हूं ये दुनिया के लोग कैसे हैं,
जब खुद नहीं चाहते खुद में कोई बदलाव,
तो भला देश में कैसे आएगा बदलाव,
देश आपका है अधिकार आपके है,
सम्मान दोगे सम्मान पाओगे,
क्यों किसी का करते हो इंतजार,
कि पहले वो बदले जब हम खुद को बदलें,
पैसों की होड़ आपको भ्रष्टाचार आपने फैल
ाया,
बेईमानी आपसे पनपी ईमानदार को आपने लूटा,
पर देश की सरकार खराब यह हर वक्त आपने कहां,
वाह ये इंसान तेरी माया,
खुद करता गंदगी और दोष देता किसी को,
कहना आसान है मेरा देश मेरा अभिमान,
आए ऐसी मुसीबत तो मिट जाऊंगा इस देश के खातिर,
पर वास्तविकता तो यह है हम मानते कहां देश को अपना,
सरकार करेगी जो करेगी गंदगी हम फैलाए साफ वो करें,
अत्याचार हम करें दोषी को वो पकड़े,
आखिर देश किसी एक की जागीर नहीं,
फिर क्यों सब सरकार के ऊपर आरोप लगाते हो,
आप जैसा बीज बोते हो वैसा ही तो फल पाते हो,
मेरा देश साफ स्वच्छ और शांतिपूर्ण ढंग से कार्य करें,
यह कहना और उसे हकीकत बनाना उतना ही कठिन है,
जितना कि इंसान की सोच मैं बदलाव लाना,
इसलिए अपेक्षा खुद से रखो और बदलाव खुद में लाओ।