माँ को नमन
माँ को नमन
माँ खुशियो का खजाना
माँ ही तो है जो दिल के सबसे करीब है,
माँ के आँचल में धूप की गर्मी भी ठड़क सी दे जाती हैं।
हमे धूप और गर्मी में देख,
अपना आचलँ ऐसे डाल देती है मानो की
एक सुकून की चादर ओढ़े हो।
माँ के आँचल में खुद को देखा तो
फिर किसी और को नहीं देखा,
माँ ही है जो तेज गर्मी में भी खुद को आग में
तपा के हमे खाना बना के देती हैं।
माँ वो शब्द है जो जीने की राह दिखाती हैं,
माँ अपने बच्चों के लिए दुआ करती है।
माँ खुद को व्यस्त और अपनी ख़ुशी ना देख कर,
अपने बच्चों को परेशान नही देखती
और हर खुशी देनी की कोशिश करती है।
माँ से ही तो सारा संसार हैं,
माँ से बढ़ कर कोई नहीं इस जहां में।
माँ ही तो जिंदगी में हमारी खुशियों का खजाना है।
माँ को नमन करते हुए उनके हिम्मत
और हौसला बुलंद को समर्पित है मेरी ये कविता।
माँ के लिये एक बेटी
माँ बेटी का पावन रिश्ता
सारे जग से न्यारा है।
है सारे रिस्ते स्वार्थ पर लेकिन
यह निस्वार्थ रिस्ता प्यारा है।
यही बेटी बहना बन कर भाई पर जान लुटाती है।
एक बेटी माँ से कहती माँ तुम मेरी जन्म दाता हो ।
माँ तुम सृष्टि की अनुपम बरदान हो।
अगाध स्नेह की दरिया हो।
मै भाग्यशाली हू तूं मेरी माँ हो।
तुमने बहुत वेदना सह कर।
मुझे इस धरती पर लाई हो
मेरे लालन पालन मे अपनी
सारी खुशियां बिसराई हो।
मै सोचती हूं माँ तुने
कितने त्याग किये है
मै गिनने मे भूल गई
गिनती याद नही आई है।
ओ माँ तेरी प्रेम छाया में
दिन ,दिन पलती रही मैं।
कहां छुपा के रखती हो
माँ बच्चों के लिए इतना स्नेह।
पाती रहूं तेरी ममता सदा
तेरी गोद तेरी प्यार की थपकी।
तेरी ही गोद मिले धरा पर
जन्म लू जब भी।