माँ की याद'
माँ की याद'
माँ जानें कहाँ तू चली गई,
आँखें मेरी भर आती है,
पल पल मुझें रूलाती है,
माँ याद तेरी सताती है।
माँ जबसें हुई तुझसें दूरी,
जीना हो जैसें मजबूरी,
बिन तेरें जिंदगी अधुरी,
दुरी सही नहीं जातीं है,
माँ याद तेरी सताती है।
अपनें अरमानों का कत्ल कर तू,
हमारें लिए जीतीं थीं,
अपनी तो हर सुबह-शाम,
जिंदगी मौज में बीती थीं,
जब खुशियों की बात आतीं है,
माँ याद तेरी सताती है।
तेरी हर बातें आज भी,
कानों में गुंजा करती हैं,
घर के हर कोनें में ये आँखें,
तुझें ही ढूढ़ा करतीं हैं
जानें कहाँ चली गई तू,
तेरी खबर नहीं कुछ मिलती है
माँ याद तेरी सताती है।
गुजारें तेरें साथ जो लम्हें,
जीनें का मेरा सहारा है,
तेरें संग बिताएं यादों का,
हर हिस्सा बड़ा ही प्यारा है
इन्हें याद कर आँखे मेरी भर आतीं हैं,
माँ तेरी याद सताती है।
ढ़ाई साल बीत गए बीत गई सारी बातें,
तेरें जानें के बाद बचें हैं,
खामोश दीवारें व उदास रातें,
ये जहन में मेरे आज भी घूमतीं हैं,
और आँख मेरी भर आती है,
माँ तेरी याद सताती है।
तूनें पूरी शिद्दत सें निभाई अपनी जिम्मेंवारियां,
कैसें होतीं जिंदगी में हमें कोई परेशानियां,
मेरीं हाथों की लकीरें शायद तूनें ही बनाई थीं,
तेरी यादों में माँ मेरीं रातें कट जातीं है,
ना मेरें आँसू रूकतें हैं और ना ही तू आती है,
माँ तेरी याद सताती है।
मेरीं खामोशी व उदासी तू पढ़ लिया करती थी,
तेरें रहनें पर ये दुनिया कितनी न्यारी थी,
सारा जहां हमारा था जब पास माँ हमारीं थीं,
इस जिंदगी में तेरी याद कभी ना जाती है,
हो सकें तो लौट के आना,
माँ तेरी याद बहुत सताती है।