मां के प्यार की शक्ति
मां के प्यार की शक्ति
अपनी ख़ुशी टाँगने को,
तुम कंधे क्यूँ तलाशती हो
कमज़ोर हो,
ये वहम क्यों पालती हो
ख़ुश रहो क़ि ये काजल,
तुम्हारी आँखों मे आकर सँवर जाता हैं
ख़ुश रहो क़ि कालिख़ को,
तुम निखार देती हों
ख़ुश रहो क़ि तुम्हारा माथा, बिंदिया की ख़ुशकिस्मती हैं
ख़ुश रहो क़ि तुम्हारा रोम-रोम, बेशक़ीमती हैं
ख़ुश रहो क़ि तुम न होतीं, तो क्या-क्या न होता
न मकानों के घर हुए होते, न आसरा होता
न रसोइयों से खुशबुएँ ममता की, उड़ रही होतीं
न त्योहारों पर महफिलें, सज रही होतीं
ख़ुश रहो क़ि तुम बिन, कुछ नहीं हैं
तुम्हारे हुस्न से ये आसमाँ, दिलक़श और ये ज़मीं हसीं हैं
ख़ुश रहो क़ि रब ने तुम्हें पैदा ही, ख़ुद मुख़्तार किया
फ़िर क्यों किसी और को तुमने, अपनी मुस्कानों का हक़दार किया
ख़ुश रहो जान लो क़ि, तुम क्या हों
चांद सूरज हरियाली, हवा हो
खुशियाँ देती हो, खुशियाँ पा भी लो
कभी बेबात, गुनगुना भी लों
अपनी मुस्कुराहटों के फूलों को,अपने संघर्ष की मिट्टी में खिलने दो
अपने पंखों की ताकत को, नया आसमान मिलने दो
और हाँ मत ढूँढो कंधे
क़ि सहारे, सरक जाया करते हैं
