मां के लिए पत्र
मां के लिए पत्र
जब नई सुबह भी लौट आती
हर रात के बीत जाने के बाद
तो माँ तू क्यों नहीं लौट आती
एक बार चले जाने के बाद!
जब ख़ुशी की लहर भी लौट आती
हर दुख की घड़ी गुज़र जाने के बाद
तो माँ तू क्यों नहीं लौट आती
एक बार चले जाने के बाद!
जब बहारें भी लौट आती है
पतझड़ के गुज़र जाने के बाद
तो माँ तू क्यों नहीं लौट आती
एक बार चले जाने के बाद!
जब होली दीवाली भी लौट आती
साल के बीत जाने के बाद
तो माँ तू क्यों नहीं लौट आती
एक बार चले जाने के बाद!
