नारी के किरदार अनेक
नारी के किरदार अनेक
माता-पिता ने जन्म दिया तो, बेटी
भैया की कलाई में बांधी राखी
तो बहन की शोभा दिलाई।
छोटी रही या बड़ी रही बहन की सखी रही।
पढ़ लिखकर विद्वान हुई तो
विद्यार्जन कर विद्यार्थी ,
से पढ़ी लिखी नार पैरों में खड़ी हो पाई।
पिता ने कन्यादान किया
पति की अर्धांगिनी ससुराल की बहू कहलायी।
रिश्तो की शुरुआत हुई घर में नई खुशियां आइ
मां ,दादी ,परदादी बनी ,
हर नई पीढ़ी के साथ
किरदार में ढली।
जीवन के इस मंच मे
यह है एक नारी के किरदार की सच्चाई।
