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SHWETA Shubh Karan

Abstract Children Stories

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SHWETA Shubh Karan

Abstract Children Stories

सुबह का अखबार

सुबह का अखबार

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सुबह का अखबार, भरा रहता समाचारों से

फिर क्यों जलाया मुझे मिल के अत्याचारियों ने ।


इसमें मेरी कया गलती,

कि खबर अच्छी नहीं छपती ।

मैं तो सुनाता तुम्हें

खबरें देश- विदेश की ।


है कभी खुशी की खबर, तो वहीं है दर्द की कब्र

मैं तो देता खबरें हर क्षेत्र की ।

अलग -अलग भाषाओ मे आता,

सारी दुनिया की सैर कराता ।


खामोश रहता, फिर भी बहुत कहता

यकीन करते मुझ पे सारे ।

कयोंकि सच्ची बात मैं ले कर आता ।


सबकी सुबह मुझ से होती,

कर के चाय से दोस्ती

इंतजार करते हैं सब मेरा

कयोकि मैं हूँ सबका चहेता ।


सुबह का अखबार, भरा रहता समाचारों से

फिर क्यों जलाया मुझे मिल के अत्याचारियों ने ।


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