नेमतें
नेमतें
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मचलती ये हवा अनमोल इतनी,
मर ही जाएंगे, अगर ना पाएं हम।
और इस पानी की क़ीमत है बड़ी,
मिलकर इसे भी अब बचाएं हम।
नेमतें बख़्शी हैं कुदरत ने बहुत,
और मिट्टी में ख़जाना है छिपा,
हर तरफ़ अब सब्ज़ रंग दिखता रहे,
पेड़ इतने अब उगाएं हम।