जीवन और संघर्ष
जीवन और संघर्ष
बिना किसी मक़सद के अपना,
जीवन यारों कैसा होता।
जीवन में संघर्ष न होता,
तो ये जीवन कैसा होता।।
सोच समझने की भी ताकत,
अपना काम दिखाती है तब,
कभी अचानक से जीवन में,
घड़ी दुखों की आती है जब।
सोचो अगर ये दुःख न होता,
तो ये जीवन कैसा होता।
जीवन में संघर्ष न होता,
तो ये जीवन कैसा होता।।
ख़ुशी जिसे हम सब हैं कहते,
एक परीक्षा ही होती है।
कर्म और बलिदानों का ही,
परिणाम, ख़ुशी भी होती है ख़ुशी
अगर यूं ही मिल जाती,
तो ये जीवन कैसा होता।
जीवन में संघर्ष न होता,
तो ये जीवन कैसा होता।।
कम साधन में लोग जहां में,
जीवन अपना जब जीते हैं।
चाहत अपनी पीछे रख कर,
संतुष्टि का, अमृत पीते हैं।
साधन गर सब पूरे होते,
तो ये जीवन कैसा होता,
जीवन में संघर्ष न होता,
तो ये जीवन कैसा होता।।
कभी ज़िन्दगी में कुछ पाना,
और कभी कुछ खो देना भी।
कभी किसी को कुछ दे देना,
और किसी से कुछ लेना भी।
जीवन का हिस्सा न होते,
तो ये जीवन कैसा होता।
जीवन में संघर्ष न होता,
तो ये जीवन कैसा होता।।
आज सभी हैं बंद घरों में ,
अपनों से भी दूर हुए हैं।
अनुशासन का पालन करते,
ख़ुद से ही मजबूर हुए हैं।
जीने की चाहत न होती
तो ये जीवन कैसा होता।
जीवन में संघर्ष न होता,
तो ये जीवन कैसा होता।।
