कैसी तन्हाई ?
कैसी तन्हाई ?
लाॅकडाउन में लीजिए आपकी तन्हाई दूर करने मैं आ गई अपने इस गीत के साथ *गीत* कैसी तन्हाई? तन्हाई से कैसा डर है, होती क्या तन्हाई है। मेरे साथ हुनर है मेरा, फ़िर कैसी तन्हाई है।। सबसे पहले रब है मेरा, उससे मांगूं सबकी ख़ैर। हिन्दू, मुस्लिम,सिक्ख, ईसाई, नहीं किसी से मुझको बैर।
दिल में सबके एक ही रब है, एक यही सच्चाई है। मेरे साथ हुनर है मेरा, फ़िर कैसी तन्हाई है।
तुलिका कभी उठाकर अपनी, रंगों से खेलूं मैं खेल। क़लम उठा कर कभी लिखूं मैं, बना "गीत" लफ़्ज़ों का मेल। रंगों और अल्फाज़ो की, दौलत मेरी कमाई है। मेरे साथ हुनर है मेरा, फ़िर कैसी तन्हाई है।। सभी एक हैं इस धरती पर, सबको मन से अपनाओ।
अपने किसी हुनर से तुम भी, फ़ैज़ वतन को पहुंचाओ। आपस में हम लड़े अगर तो,जग में भी रुस्वाई है। मेरे साथ हुनर है मेरा, फ़िर कैसी तन्हाई है।। कुदरत ने जो सबको बख़्शा, "हुनर" उसे तुम पहचानो। तन्हाई में ख़ुद को ढूंढो, थोड़ा ख़ुद को भी जानो। भूल ही जाओगे फ़िर तुम भी, होती क्या तन्हाई है। मेरे साथ हुनर है मेरा, फ़िर कैसी तन्हाई है।