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Kahkashan Danish

Drama

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Kahkashan Danish

Drama

माफ़ीनामा

माफ़ीनामा

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धीरे- धीरे संग हवा के,

बहने की आदत सी हो जाती,

तन्हा रहने की।


पर जब से हम अपने,

घर में कैद हुए,

आदत कैसे पड़े,

तबाही सहने की।


सज़ा सुनाई कुदरत ने,

कुछ ऐसी ही, पछताने के सिवा करेंगे,

अब हम क्या ?


माफ़ी नामा अपना

सारे पेश करो,

और इजाज़त नहीं मिली,

कुछ कहने की।


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