मेरे मुरशिद
मेरे मुरशिद
तुमने चराग -ए- इल्म से, रौशन ज़हन को कर दिया।
बिखरे हुए इस बाग़ को, गुलज़ार तुमने कर दिया।
सदका़ -ए -जारिया हुआ, हमको दिया जो आपने।
झरना बहा कर इल्म का, दानिश हमें भी कर दिया
तुमने चराग -ए- इल्म से, रौशन ज़हन को कर दिया।
बिखरे हुए इस बाग़ को, गुलज़ार तुमने कर दिया।
सदका़ -ए -जारिया हुआ, हमको दिया जो आपने।
झरना बहा कर इल्म का, दानिश हमें भी कर दिया