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Neha khetan

Abstract Children Fantasy

3.9  

Neha khetan

Abstract Children Fantasy

बचपन

बचपन

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क्या वो दिन थे,

जब इस दुनिया के

पहलू से अंजान थे हम।


बारिश के पानी में,

बादल की छाँव में,

कागज की कश्ति में,

अपने गमों को भुलाने में,

मसरुफ थे हम।


कॉपी की खुश्बू में,

चुस्की की मस्ती में,

गुड़िया खिलौनों में,

अपनी खुशियाँ

तलाशने में,

कहीं गुम थे हम।


समंदर किनारे,

लहरों के बीच,

रेत के टिलों मे,

अपना आशियाना

बसाकर भी

महफूज थे हम।


क्या वो दिन थे,

जब अपने बचपन की

मासूमियत से महरुम थे हम।


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