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Neha khetan

Abstract Fantasy Inspirational

4.5  

Neha khetan

Abstract Fantasy Inspirational

उम्मीद

उम्मीद

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हाथ जोड़े खड़े थे सब उस भीड़ में

बस इसी एक उम्मीद में

कभी तो नजर आये भगवान

उस पत्थर की मूरत में !


कहीं हाथों में मन्नतों की थाली थी

और आँखों में ख्वाबों की रौशनी,

कहीं दिलों में ग़मों का सागर था,

और चेहरे पे मुस्कराहट।


पर फिर भी वहीं खड़े थे सब हाथ

जोड़कर, बस इसी उम्मीद में,

कभी तो नजर आये भगवान

उस पत्थर की मूरत में !


कुछ ऐसा भी दिखा वहां की

समझ नहीं आया,

कुछ लोग अपना सर झुका

कर दुआ मांगते,

तो कुछ झोली फैला कर

रहमत की गुहार करते।


लोग आते अपनी जरुरत लेकर थे, 

लेकिन लौटते अपनी किस्मत की लकीरें लेकर,

फिर भी हर इंसान खड़ा था वहां हाथ जोड़कर

बस इसी उम्मीद मे,

कभी तो नजर आये भगवान उस पत्थर की मूरत में!


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