ये शहर नहीं
ये शहर नहीं
ये शहर नहीं एक अजीब
काफिला है लोगो का,
यहाँ अपनों के साथ सब अकेले है
और परायों के साथ सब अपने,
यहाँ आसमान के तारों से ज्यादा
जमिनी सितारों की महफ़िल है ।
ये शहर नहीं एक रंगमंच है लोगो का,
यहाँ ख़ुशियों से ज्यादा
लोग ग़म में साथ नजर आते है,
यहाँ घरों की छतों से बड़ी
सपनों की चाहत है।
ये शहर नहीं एक आशियाना है लोगो का,
यहाँ इमारतों से ऊँचे लोगो के हौसले है,
यहाँ ज़मीन पे सोते लोग भी
अखबारों में रौशनी फैलाते है।
ये शहर नहीं एक कारवाँ है लोगो का,
यहाँ जिंदगी कि कश्ती से ज्यादा
ख़्वाबों के परिन्दे है,
यहाँ कुदरत के कहर में भी लोग
शमियाना सजा लेते है।
ये शहर नहीं एक फलसफा है लोगो का।