STORYMIRROR

Amit Bhatore

Children Stories

3  

Amit Bhatore

Children Stories

ग्रीष्मावकाश

ग्रीष्मावकाश

1 min
12.1K

अब नहीं मिलता ग्रीष्मावकाश

वो दिन लौट आए फिर काश

दिनभर मिट्टी में खेलते रहते

एक सा दिखता ज़मी-आकाश

तनाव नहीं बेफिक्री का आलम

रोज खिलते खुशियों के पलाश

जब इम्तेहान का भी नहीं था

डर उन दिनों की फिर से है तलाश

खुद से भी नहीं मिल पाते अमित

कब छूटेंगे अनिश्चितता के पाश।


Rate this content
Log in